कभी आंसू ,कभी खुशबू.......
कभी आंसू ,कभी खुशबू ,कभी नगमा बनकर,
हम से हर शाम मिलता है जो तेरा चेहरा बनकर,
चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह,
फूल महके है तेरी जुल्फ का साया बनकर,
मेरी जागी हूई रातों को उसकी है तलाश,
जो रहता है मेरी आँखों में सपना बनकर,
दिल के कागज़ पर जो उतरा है शेरों की तरह,
मेरे होठों पर जो मचलता है नगमा बनकर,
रात भी आये तो भुजती नहीं चेहरे की चमक,
रूह में फैल गया है वो उजाला बनकर,
मेरा क्या हाल है ये आके कभी देख ले,
जी रहा हूँ तेरा भूला हुआ वादा बनकर,
धुप में खो गया वो हाथ छुडा कर,
घर से जो साथ चला था मेरा साया बनकर,
कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर,
हम से हर शाम मिलता है जो तेरा चेहरा बनकर .............
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