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Showing posts from June, 2008

जरूरत क्या है...............

ख़ुद को मेरा दोस्त बनाने की जरूरत क्या है, दोस्त बनके दगा देने की जरूरत क्या है, अगर कहा होता तो हम ख़ुद ही चले जाते, यू आपको चेहरा छुपाने की जरूरत क्या है, सोचा था रहेंगे एक घर बनाके बड़े सुकून से, न मिल सका सुकून तो महलों की जरूरत क्या है, है कौन मेरा जो बहाता मेरी मंजार पर अश्क, मुस्कुराते रहना तुम ,मुझे तेरे अश्को की जरूरत क्या है, मैं तो जान भी दे सकती थी तुझपे ऐ दोस्त, पर इस तरह मुझे आजमाने की जरुरत क्या है, दबी हूँ मिटटी में इस कदर की बड़ा दर्द है, मुझ पर फूल डाल कर और दबाने की जरुरत क्या है, मुझ से कर के दोस्ती अगर पूरा हो गया हो शौक, तो किसी और के जज्बातों से खेलने की जरुरत क्या है ।

कभी आंसू ,कभी खुशबू.......

कभी आंसू ,कभी खुशबू ,कभी नगमा बनकर, हम से हर शाम मिलता है जो तेरा चेहरा बनकर, चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह, फूल महके है तेरी जुल्फ का साया बनकर, मेरी जागी हूई रातों को उसकी है तलाश, जो रहता है मेरी आँखों में सपना बनकर, दिल के कागज़ पर जो उतरा है शेरों की तरह, मेरे होठों पर जो मचलता है नगमा बनकर, रात भी आये तो भुजती नहीं चेहरे की चमक, रूह में फैल गया है वो उजाला बनकर, मेरा क्या हाल है ये आके कभी देख ले, जी रहा हूँ तेरा भूला हुआ वादा बनकर, धुप में खो गया वो हाथ छुडा कर, घर से जो साथ चला था मेरा साया बनकर, कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर, हम से हर शाम मिलता है जो तेरा चेहरा बनकर .............

करार मिला है........

रोए है बहुत तब ज़रा करार मिला है, इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है, गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तेहान के दौर से, एक ख़त्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है, मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल, गम का खजाना जो इसको बेशुमार मिला है, वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया, मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है, गम नहीं मुझे की दुश्मन हुआ ज़माना, जब दोस्त हाथों में लिए तलवार मिला है, सबकुछ खुदा ने तुमको भला कैसे दे दिया, मुझे तो उसके दर से सिर्फ इनकार मिला है.......

नकाब

मेरी गली से रोज़ एक लड़की गुज़रा करती थी॥ जिसके चेहरे पर नकाब हुआ करता था॥ जिसे मैं बमियारे से देखा करता था शायद दिल हे दिल मोहब्बत किया करता था॥ एक रोज़....... बात बढ़ी, रात घटी, प्यार हुआ, इकरार हुआ ..... लड़का लड़की के पास पंहुचा और बोला........ अपने चेहरे से ये नकाब हटा दो, राहें मोहब्बत में जो दीवार है वो गिरा दो॥ लड़की ने साफ इनकार कर दिया... उसके बाद वो दोनों अपने घर लौट गए और सात रोज़ तक न मिले... आठवे रोज़ ..... लड़की लड़के के घर पहुची वहाँ का माहोल देखकर वो चौक गई ..... तभी वहाँ से एक बुजुर्ग निकले और बोले... मोहतरमा!!! आप जिससे मिलने आई है उनकी सात रोज़ पहले मौत हो गई है!!! बुढेने लड़की पर इतना और लड़की को लड़के की कब्र तक पहुचाया कब्र पर पहुचकर लड़की ने चेहरे से नकाब हटाया और........फ़ुट फ़ुट कर रोने लगी तभी... कब्र में से आवाज़ आने लगी........... की ऐ नादान लड़की क्यों करती है इतना गम, उतना ही न होगा कम, इसमें रोने की क्या बात है, कल तुझ पर नकाब था आज मुझ पर नकाब है........

जब इश्क तुम्हे हो जायेगा........

मेरे जैसे बन जाओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा, दीवार से सर टकराओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा, हर बात गवारा कर लोगे, मन्नत भी उतारा कर लोगे, तबीजें भी बंधवाओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा, तन्हाई के झूले झूलोगे, हर बात पुरानी भूलोगे, आईने से घबराओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा, जब सूरज भी खो जायेगा, और चाँद कहीं सो जायेगा, तुम भी घर देर से आओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा, बैचैनी भी बढ़ जायेगी, और याद किसी की आएगी, तुम मेरी गजलें गाओगे, जब इश्क तुम्हे हो जायेगा....

मलाल उसका................

करू तो किस लिए आखिर मलाल उसका, उसे नहीं तो मुझे भी नहीं ख्याल उसका, मेरी वफ़ा ने बनाया है बेवफा उसको, किसी अदा पर नहीं है कमाल उसका, मेरे नसीब की ये भी तो खुश नसीबी है, के मुझको देखकर सब पूछते है हाल उसका, यही दुआ मैं करता हूँ हर बरस के पहले दिन, मेरे बगैर न गुजरे कोई भी साल उसका...