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Showing posts from September, 2008

बिखर जाऊंगा........

इतना टूटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा, अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा॥ पूछकर मेरा पता वक्त जाया न करो अपना, मैं तो बंजारा हूँ न जाने किधर जाऊंगा॥ हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चिराग कोई, कौन पहचानेगा ? बस्ती में अगर आ जाऊंगा॥ ज़िन्दगी, मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का, तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊंगा॥ फूल रह जायेंगे गुलदान में यादों की तरह, मैं तो खुशबू हूँ फिजाओं में बिखर जाऊंगा॥ इतना टूटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा, अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा.......

मन को मना लिया मैंने......

अपने मन को मना लिया मैंने, जिंदगी से निभा लिया मैंने ! एक खुशबू सी तेरी याद आयी, एक पल मुस्करा लिया मैंने ! प्यास तड़पी तो पी लिया आंसू, भूख में गम को खा लिया मैंने ! दर्द का गीत एक तड़पता सा, प्यार में गुनगुना लिया मैंने ! मुझपे इल्जाम है ज़माने का, क्यों तेरा दिल चुरा लिया मैंने, जब कभी नींद मुझसे रूठ गयी, चाँद को घर बुला लिया मैंने ! किस तरह खुशनसीब हूँ मै भी, तुमको ख्वाबों में पा लिया मैंने !!

ख़त ....... जगजीत सिंह

जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा, जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रखा, दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा, तुने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखें, साल हा साल मेरे नाम बराबर लिखे, कभी दिन को तो, कभी रात को उठकर लिखें...... तेरी खुशबू में बसे ख़त, मैं जलाता कैसे, प्यार में डूबे हुए ख़त, मैं जलाता कैसे, तेरे हाथो के लिखे ख़त, मैं जलाता कैसे, तेरे ख़त आज मैं, गंगा में बहा आया हूँ, आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ.......