नकाब

मेरी गली से रोज़ एक लड़की गुज़रा करती थी॥
जिसके चेहरे पर नकाब हुआ करता था॥
जिसे मैं बमियारे से देखा करता था
शायद दिल हे दिल मोहब्बत किया करता था॥
एक रोज़....... बात बढ़ी, रात घटी, प्यार हुआ, इकरार हुआ .....
लड़का लड़की के पास पंहुचा और बोला........
अपने चेहरे से ये नकाब हटा दो,
राहें मोहब्बत में जो दीवार है वो गिरा दो॥
लड़की ने साफ इनकार कर दिया...
उसके बाद वो दोनों अपने घर लौट गए और सात रोज़ तक न मिले...
आठवे रोज़ ..... लड़की लड़के के घर पहुची
वहाँ का माहोल देखकर वो चौक गई .....
तभी वहाँ से एक बुजुर्ग निकले और बोले...
मोहतरमा!!! आप जिससे मिलने आई है
उनकी सात रोज़ पहले मौत हो गई है!!!
बुढेने लड़की पर इतना
और लड़की को लड़के की कब्र तक पहुचाया
कब्र पर पहुचकर लड़की ने चेहरे से नकाब हटाया
और........फ़ुट फ़ुट कर रोने लगी तभी...
कब्र में से आवाज़ आने लगी...........की
ऐ नादान लड़की क्यों करती है इतना गम,
उतना ही न होगा कम, इसमें रोने की क्या बात है,
कल तुझ पर नकाब था आज मुझ पर नकाब है........


Comments

सुन्दर लिखा है
Udan Tashtari said…
क्या बात है!
वक्त वक्त की बात है। वैसे आजकल ऐसा कम ही होता है। हां इतना जरूर है कि भाई साहब लडकी को कनवेंस नहीं कर पाए।

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