करार मिला है........
रोए है बहुत तब ज़रा करार मिला है,
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है,
गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तेहान के दौर से,
एक ख़त्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है,
मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल,
गम का खजाना जो इसको बेशुमार मिला है,
वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया,
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है,
गम नहीं मुझे की दुश्मन हुआ ज़माना,
जब दोस्त हाथों में लिए तलवार मिला है,
सबकुछ खुदा ने तुमको भला कैसे दे दिया,
मुझे तो उसके दर से सिर्फ इनकार मिला है.......
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वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया,
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है,
सुंदरतम संसार की छलक रही दो झील