करार मिला है........

रोए है बहुत तब ज़रा करार मिला है,
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है,
गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तेहान के दौर से,
एक ख़त्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है,
मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल,
गम का खजाना जो इसको बेशुमार मिला है,
वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया,
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है,
गम नहीं मुझे की दुश्मन हुआ ज़माना,
जब दोस्त हाथों में लिए तलवार मिला है,
सबकुछ खुदा ने तुमको भला कैसे दे दिया,
मुझे तो उसके दर से सिर्फ इनकार मिला है.......

Comments

Anonymous said…
The nice thing with this blog is, its very awsome when it comes to there topic.
रंजना said…
jisne bhi likha bahut khoob likha hai.
vijaymaudgill said…
क्या बात है, बहुत बढ़िया लिखा है। अच्छा लगा पढ़कर
वो कमनसीब है जिन्हें महबूब मिल गया,
मैं खुशनसीब हूँ मुझे इंतज़ार मिला है,
Anonymous said…
तुमको रोता देखकर होता हमको फील
सुंदरतम संसार की छलक रही दो झील
Udan Tashtari said…
अच्छी गजल लेकर आई हैं-काश, शायर का नाम पता होता.

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