मोहब्बत हार जाती है.....


ज़माने से सुना था की मोहब्बत हार जाती है

जो चाहत हो एक तरफा वो हार जाती है

कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता है

और कहीं बरसो की इबादत भी हार जाती है

हमें कितने भी शिकवें हो उसकी जफाओ से

उसके सामने हर शिकायत हार जाती है

एक आरजू है उसको भूल जाने की

पर उसकी याद आते ही ये हसरत हार जाती है

Comments

Anil Pusadkar said…
kahin duyaon ka ek lafz asar kar jaata hai,aur kahin barson ki ibaadat bhi har jaati hai. shaandar
bhut badhiya. bilkul sahi kaha. sundar rachana ke liye badhai.
हमें कितने भी शिकवें हो उसकी जफाओ से
उसके सामने हर शिकायत हार जाती है

एक आरजू है उसको भूल जाने की
पर उसकी याद आते ही ये हसरत हार जाती है

कोमल अहसासों से सजी सुन्दर रचना...


***राजीव रंजन प्रसाद

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Manish Kumar said…
सहज किंतु सुंदर ! प्रेम के अहसासों को जगा गई ये ग़ज़ल
Udan Tashtari said…
बहुत सुन्दर.
ghughutibasuti said…
बहुत सुन्दर!
घुघूती बासूती

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