क्या है?......

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों, तो मरना क्या है?
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है...
भूल गए भीगते हुए टहलना क्या है?
अब रेत पर नगें पाव टहलते क्यूँ नही?
१०८ है चैनल पर फिर भी दिल बहलता क्यूँ नही?
नाटक के किरदारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछने की फुर्सत कहा है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों, तो मरना क्या है?

Comments

Rajesh Roshan said…
बेहद उम्दा लिखा आपने... लेकिन कुछ सवाल...
इतनी छोटी सी उम्र में आप काम करती हैं?
पढने के साथ साथ...

समाज में हो रहे बदलावों की अच्छी पकड़ है आपको... लिखते रहिये
Anil Pusadkar said…
par maa ka haal puchhne ki fursat kahan hai......... sundar bhav sunder rachna
ghughutibasuti said…
बहुत सही लिखा है। प्रश्न भी अच्छे उठाए हैं।
घुघूती बासूती
Udan Tashtari said…
बहुत उम्दा, क्या बात है!

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