पतझर में सीलन...

पतझर में जो पत्ते बिछड़ जाते हैं अपने आशियाने से,
वे पत्ते जाने कहाँ चले जाते हैं?
उन सूखे पत्तों की रूहें उसी आशियाने की दीवारों पे,
सीलन की तरह बहती रहती है!
किसी भी मौसम में ये दीवारें सूखती नही!
ये नम बनी रहती है
मौसम रिश्तों की रूहों को सूखा नही सकते....

Comments

किसी भी मौसम में ये दीवारें सूखती नही!
ये नम बनी रहती है
मौसम रिश्तों की रूहों को सूखा नही सकते....
बहqत अच्छा।
pallavi trivedi said…
मौसम रिश्तों की रूहों को सूखा नही सकते....
bilkul sahi kaha....bahut sundar.
Udan Tashtari said…
बेहद खूबसूरत...वाह!

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