बिखर जाऊंगा........
इतना टूटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा,
अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा॥
पूछकर मेरा पता वक्त जाया न करो अपना,
मैं तो बंजारा हूँ न जाने किधर जाऊंगा॥
हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चिराग कोई,
कौन पहचानेगा ? बस्ती में अगर आ जाऊंगा॥
ज़िन्दगी, मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का,
तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊंगा॥
फूल रह जायेंगे गुलदान में यादों की तरह,
मैं तो खुशबू हूँ फिजाओं में बिखर जाऊंगा॥
इतना टूटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा,
अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा.......
अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा॥
पूछकर मेरा पता वक्त जाया न करो अपना,
मैं तो बंजारा हूँ न जाने किधर जाऊंगा॥
हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चिराग कोई,
कौन पहचानेगा ? बस्ती में अगर आ जाऊंगा॥
ज़िन्दगी, मैं भी मुसाफिर हूँ तेरी कश्ती का,
तू जहाँ मुझसे कहेगी मैं उतर जाऊंगा॥
फूल रह जायेंगे गुलदान में यादों की तरह,
मैं तो खुशबू हूँ फिजाओं में बिखर जाऊंगा॥
इतना टूटा हूँ की छूने से बिखर जाऊंगा,
अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा.......
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अब और दुआ दोगे तो मर ही जाऊंगा॥
पूछकर मेरा पता वक्त जाया न करो अपना,
मैं तो बंजारा हूँ न जाने किधर जाऊंगा॥
kisi ki bhi hai je najm....achchi hai