किसी गरीब की बस्ती जला दी तुमने....
किसी गरीब की बस्ती जला दी तुमने,
किसी बेनाम की हस्ती मिटा दी तुमने,
महल न सही, मगर उसका तो वो आशियाना था,
किसी मुफलिस को औकात दिखा दी तुमने,
सब्र ना रहा, मगर फिर भी वो बेजबान था,
किसी शायर को खामोशी सिखा दी तुमने,
उम्र तो थी बाकि, मगर जिंदा भी वो कहाँ था,
किसी भुझी हुयी चिंगारी को हवा दी तुमने,
दर्द भरी ज़िन्दगी में, खुशी का वो लम्हा था,
किसी की हकीक़त को कहानी बना दी तुमने,
रही जो अनकही, वो ज़िन्दगी का एक अरमान था,
किसी ज़ाकिर को बदनसीबी सुना दी तुमने,
किसी गरीब की बस्ती जला दी तुमने,
किसी बेनाम की हस्ती मिटा दी तुमने.......
किसी बेनाम की हस्ती मिटा दी तुमने,
महल न सही, मगर उसका तो वो आशियाना था,
किसी मुफलिस को औकात दिखा दी तुमने,
सब्र ना रहा, मगर फिर भी वो बेजबान था,
किसी शायर को खामोशी सिखा दी तुमने,
उम्र तो थी बाकि, मगर जिंदा भी वो कहाँ था,
किसी भुझी हुयी चिंगारी को हवा दी तुमने,
दर्द भरी ज़िन्दगी में, खुशी का वो लम्हा था,
किसी की हकीक़त को कहानी बना दी तुमने,
रही जो अनकही, वो ज़िन्दगी का एक अरमान था,
किसी ज़ाकिर को बदनसीबी सुना दी तुमने,
किसी गरीब की बस्ती जला दी तुमने,
किसी बेनाम की हस्ती मिटा दी तुमने.......
Comments
किसी बेनाम की हस्ती मिटा दी तुमने.......
-बढ़िया है!