भगवान का दस्तूर भी अजीब है, कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता.....

मेरी साँसे चले, मेरे पल दिन कटे,
बीते मेरे दिना, तेरे बिना......

तुने दिया दर्दे जिगर, दिल पे हुआ ऐसा असर,
आँखें बंद जब करू, तेरा ही एक चेहरा,
लम्हा लम्हा यारा, आये नज़र,
तेरी कशिश तडपाती है, पागल मुझे कर जाती है,
दूरी तेरी अनजाने में, मेरे करीब तुझे लाती है,
दिल की लगी, दिल में आशिकी, सहना यहाँ, मुश्किल है बड़ा....
तेरे बिना ...तेरे बिना......

जानू ये मैं, जाने खुदा, तुझपे सदा हक़ है मेरा,
दावा है ये मेरा, आशिकी ये मेरी, धडकनों में तेरी रह जायेगी,
कहती मेरी दीवानगी, रूह में, तू ही तू बसी,
वीरानियों का है समा, तेरे सिवा ये ज़िन्दगी,
क्या ये ज़मीन, क्या आसमा,
सूने मेरे, है दोनों जहाँ,
तेरे बिना .....तेरे बिना....

Comments

Himanshu Pandey said…
बेहतरीन रचना । धन्यवाद ।
ब्लॉग पर पहली बार आया । अच्छा लगा ।
Ajay Saklani said…
वाह बहुत अच्छा, मज़ा आ गया, जान दाल दी है आपने शब्दों में|

रूह को मेरी अब सकूं कहाँ,
भटकती फिरती है कहीं तन्हा,
इंतज़ार कब तक करे,
कैसे संभाले अब तेरे बिना,
तेरे बिना तेरे बिना....
प्रेम विरह का अद्भुत संगम कविता करे बयान।
सब को सब कुछ मिले नहीं क्यों ऐसा भगवान?

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Udan Tashtari said…
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!!
M Verma said…
सूने मेरे, है दोनों जहाँ,
तेरे बिना .....तेरे बिना....
समर्पित भावो को खूबसूरती से सजाया है बहुत अच्छा
अपनी भावनाओं को सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
Deena said…
Aap Sabhi Ka Bahut Shukriya!!

Popular posts from this blog

प्यार से प्यार तो कर के देख....

पतझर में सीलन...

जरूरत क्या है...............