जरूरत क्या है...............
ख़ुद को मेरा दोस्त बनाने की जरूरत क्या है,
दोस्त बनके दगा देने की जरूरत क्या है,
अगर कहा होता तो हम ख़ुद ही चले जाते,
यू आपको चेहरा छुपाने की जरूरत क्या है,
सोचा था रहेंगे एक घर बनाके बड़े सुकून से,
न मिल सका सुकून तो महलों की जरूरत क्या है,
है कौन मेरा जो बहाता मेरी मंजार पर अश्क,
मुस्कुराते रहना तुम ,मुझे तेरे अश्को की जरूरत क्या है,
मैं तो जान भी दे सकती थी तुझपे ऐ दोस्त,
पर इस तरह मुझे आजमाने की जरुरत क्या है,
दबी हूँ मिटटी में इस कदर की बड़ा दर्द है,
मुझ पर फूल डाल कर और दबाने की जरुरत क्या है,
मुझ से कर के दोस्ती अगर पूरा हो गया हो शौक,
तो किसी और के जज्बातों से खेलने की जरुरत क्या है ।
Comments
vha bhut hi gahari baat.sundar rachana. badhai ho.